महागौरी :-

Mahagauri

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

महागौरी देवी :

भक्तों के सारे पापों को जला देनेवाली और आदिशक्ति मां दुर्गा की नौ शक्तियों की आठवीं
स्वरूपा महागौरी की पूजा नवरात्र के अष्टमी तिथि को किया जाता है | पौराणिक
कथानुसार मां महागौरी ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के
लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण इनके शरीर का रंग एकदम काला पड़ गया था
| तब मां की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं शिवजी ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल
से धोया, जिससे इनका वर्ण विद्युत-प्रभा की तरह कान्तिमान और गौर वर्ण का हो गया
और उसी कारणवश माता का नाम महागौरी पड़ा | माता महागौरी की आयु आठ वर्ष मानी
गई है | इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल है, दूसरे हाथ से अभय मुद्रा में हैं,
तीसरे हाथ में डमरू सुशोभित है और चौथा हाथ वर मुद्रा में है | इनका वाहन वृषभ है |
नवरात्र की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा का बड़ा महात्म्य है | मान्यता है कि
भक्ति और श्रद्धा पूर्वक माता की पूजा करने से भक्त के घर में सुख-शांति बनी रहती है और
उसके यहां माता अन्नपूर्णा स्वरुप होती है | इस दिन माता की पूजा में कन्या पूजन और
उनके सम्मान का विधान है |  माता का मंत्र निम्न प्रकार से है :- 
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः | महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा ||
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