भवन के सम्बन्ध  में वास्तु शास्त्र के  महत्वपूर्ण  नियम :
१. मकान में उत्तर – पूर्व का कोना हमेशा खुला एवं साफ सुथरा होना चाहिए |
२. भवन या मकान की ऊंचाई हमेशा दक्षिण – पश्चिम कोने की अधिक होनी चाहिए तथा भारी निर्माण होना चाहिए |
३. आपके मकान का मुख्य द्वार किसी दूसरे के मुख्य द्वार के सामने नहीं होना चाहिए |
४. मकान में रसोई एवं स्नानागार या टॉयलेट  एक साथ नहीं होने चाहिए या उनकी दीवार एक नहीं होनी चाहिए |
५. मकान में उत्तर – पूर्व का कोना ढालू होना चाहिए एवं ड्रेनेज के पानी का बहाव भी उत्तर-पूर्व कोने की तरफ होना चाहिए |
६. भवन में दरवाजे हमेशा भवन के अन्दर की  तरफ खुलने चाहिए |
७. भवन में  भूमि  तल  की मंजिल पर दरवाजे एवं खिड़कियों  की संख्या ऊपरी मंजिलों से ज्यादा होनी चाहिए |
८. भवन में शौचालय के अन्दर सीट उत्तर -दक्षिण दिशा में देखते हुए लगानी चाहिए |
९. रसोई घर में रसोई बनाने वाले का मुंह हमेशा पूर्व दिशा में होना चाहिए |
१०. भवन के मध्य भाग में किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं होना चाहिए, मध्य भाग को यातो खुला रखें या फिर वहां पर हाल का निर्माण करें तथा साफ सुथरा रखें  क्योंकि मध्य भाग ब्रह्म स्थान होता है |
११. बाथरूम (स्नानागार) में वाश बेसिन (हाथ धोने का स्थान) को ईशान कोण या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए |
१२. बाथरूम (स्नानागार) में गीजर आदि को अग्निकोण में लगाना चाहिए |
१३. मकान में या बाथरूम में शीशा या दर्पण हमेशा पूर्व या ऊतर दिशा की दीवार में ही लगाना चाहिए |
१४. पूजा कक्ष को सीढ़ियों के नीचे कभी नहीं बनाना चाहिए |
१५. ड्राइंग रूम में प्रवेश द्वार के सामने वाली दीवार पर कोई अच्छी सीनरी या प्राकृतिक चित्र या कोई प्रतीक चिन्ह आदि लगाना चाहिए, इस दीवार को खाली नहीं छोड़ना चाहिए |
१६. ड्राइंग रूम में कपडे आदि टांगने की व्यवस्था नहीं होनी चाहिए |
१७. घर के अन्दर फालतू  एवं रद्दी सामान को नहीं रखना चाहिए |
१८. घर के अन्दर कांटे वाले पौधे  नहीं लगाने चाहिए |
१९. मकान में हवा एवं प्रकाश के लिए खिड़कियाँ  एवं खुला स्थान होना चाहिए |
२०. भवन में चारों तरफ खुला स्थान छोड़ना चाहिए  तथा पूर्व एवं उत्तर की और पेड़ व् पौधे होने चाहिए |
२१. घर को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए |
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