अंक शास्त्र

                                                               अंक ज्योतिष
ज्योतिष विज्ञान के अन्दर अंक शास्त्र बहुत ही महत्वपूर्ण शास्त्र है , यह शास्त्र ज्योतिष शास्त्र से भी पुराना
एवं सटीक है | अंक शास्त्र बेहद सरल और सुलभ साधन है , जिसके द्वारा हम भविष्य की योजनाओं को
व्यवस्थित कर सकते हैं | अंक शास्त्र का उपयोग ज्योतिष एवं वास्तु दोनों में ही प्रचुर मात्रा होता है | फलित ज्योतिष में अंकों का आधार पर फल कथन कहने की कई विधियाँ प्रचलित हैं | फेंगसुई एवं वास्तु में भी अंक अथवा संख्याओं का महत्व समझा है , तथा जगह – जगह पर अंकों का उपयोग किया है |जैसे की सीढ़ियों की संख्या , दरवाजों की संख्या , आदि का शुभ या अशुभ होना उनकी संख्या पर निर्भर करता है | वास्तु में क्लिष्ट पद्दति द्वारा हम भूखंड की भौतिक उर्वरता को भी जान सकते हैं , जो की पूर्ण रूप से अंकों पर आधारित है , अतः हम कह सकते हैं की भारतीय संस्कृति में भी अंक शास्त्र का बहुत ही अधिक महत्व है |अंक शास्त्र में मुख्य अंक 0 (शुन्य) से 9 (नौ) तक हैं , 0-9 इन्हीं अंकों द्वारा बाकी सभी संख्याओं का निर्माण होता है तथा इन्हीं नौ अंकों से सम्पूर्ण विश्व का चक्र चल रहा है | सभी नौ अंकों की प्रकृति एक दूसरे से सदा भिन्न है जो की उनके अधिष्ठाता ग्रहों की परिचायक है | ग्रह अपनी प्रकृति के अनुसार हमें अपने अधीन रखते हैं |इसी प्रकार से ग्रह एवं अंक हमारे भाग्य एवं मानव जीवन से जुड़े हैं | प्रत्येक अंक या संख्या में एक चुम्बकीय एवं दैवीय शक्ति होती है जो की मानव जीवन पर विशेष प्रभाव् डालती है | मानव जीवन की प्रत्येक घटना में अदृश्य रूप से विशेष अंकों का हस्तक्षेप होता है एवं हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करते हैं |
मानव जीवन को अलग अलग तरीके से जैसे जन्मांक , मूलांक , भाग्यांक ,आदि के रूप में प्रभावित करते हैं | विश्व में कई विद्वानों ने अलग अलग तरीके से अंक एवं शब्दों को विभाजित करने की कोशिश की एवं उनका निम्न तरीके से विभाजन किया है , जिसमें सबसे ज्यादा प्रलित तरीका हिब्रू पद्दति है जो की ज्यादा उपयोग में आती है |चल्दीन पद्दति ,  कब्लाह पद्दति , पायथोगोरस पद्दति , पुराणी पायथोगोरस पद्दति, हिब्रू पद्दति, भारतीय पद्दति, आदि |
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