🌷 ज्योतिष और आपकी दिनचर्या 🌷

(I) भगवान कुबेर की कृपा पाने के लिए सोते समय सिर ऐसे रखें कि उठते समय आपका मुँह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो
(२) रोज अपने इष्ट देव की पूजा करे। समय का हो तो धूप – दीप जलाकर उत्तर या पूर्व होकर ध्यान करे
(३) देवी देवताओं पर चढ़ाए गए फूल सूखने पर घर में नही रहने दे, इसे जल में प्रवाहित कर दे
(4) भोजन किचन में करे राहु का अशुभ प्रभाव कमेगा। बिस्तर पर भोजन से निगेटिव प्रभाव पड़ता है।
(5)नियमित तुलसी के पौधा को जल दे। और शाम के समय धूप दीप दिखाएं इससे घर पर हमेशा लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
(6) उगते हुए सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाए जल चढ़ाते समय सूर्य का मंत्र-ऊँ आदित्याय नमः’ मंत्र का जाप करे।
(7) पूजन के समय तांबे के बर्तन में (गंगा जल) जलभर कर रखें और उसे पूजा के बाद घर के हर भाग में छिड़क दे।
(8) बिमारीयों और परेशानियों से बचने के लिए भोजन हमेशा उत्तर की ओर मुँह का के करना चाहिए।
(9) रोज पहली रोटी गाय को और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए निकाले ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते है।
(10) सूर्योदय और सूर्यास्त के समय नही सोए ऐसा करना कई तरह के दुःख और परेशानियों का कारण बनता है

घर मे गरीबी आने के कारण ।

1= रसोई घर के पास में पेशाब करना ।
2= टूटी हुई कन्घी से कंगा करना ।
3= टूटा हुआ सामान उपयोग करना।
4= घर में कूडा – कचरा रखना।
5= रिश्तेदारो से बदसुलूकी करना।
6= बांए पैर से पैंट पहनना।
7= संध्या वेला मे सोना।
8= मेहमान आने पर नाराज होना।
9= आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
10= दाँत से रोटी काट कर खाना।
11= चालीस दीन से ज्यादा बाल रखना ।
12= दांत से नाखून काटना।
14= औरतो का खडे खडे बाल बांधना।
15 = फटे हुए कपड़े पहनना ।
16= सुबह सूरज निकलने तक सोते रहना।
17= पेड के नीचे पेशाब करना।
18= उल्टा सोना।
19= श्मशान भूमि में हसना ।
20= पीने का पानी रात में खुला रखना ।
21= रात में मांगने वाले को कुछ ना देना ।
22= बुरे ख्याल लाना।
23= पवित्रता के बगैर धर्मग्रंथ पढना।
24= शौच करते वक्त बाते करना।
25= हाथ धोए बगैर भोजन करना ।
26= अपनी सन्तान को कोसना।
27= दरवाजे पर बैठना।
28= लहसुन प्याज के छिलके जलाना।
29= साधू फकीर को अपमानित करना या फिर और कोई चीज खरीदना।
30= फूक मार के दीपक बुझाना।
31= ईश्वर को धन्यवाद किए बगैर भोजन करना।
32= झूठी कसम खाना।
33= जूते चप्पल उल्टा देख कर उसको सीधा नही करना।
34= हालात जनाबत मे हजामत करना।
35= मकड़ी का जाला घर में रखना।
36= रात को झाडू लगाना।
37= अन्धेरे में भोजन करना ।
38= घड़े में मुंह लगाकर पानी पीना।
39= धर्मग्रंथ न पढ़ना।
40= नदी, तालाब में शौच साफ करना और उसमें पेशाब करना ।
41= गाय , बैल को लात मारना ।
42= माँ-बाप का अपमान करना ।
43= किसी की गरीबी और लाचारी का मजाक उडाना ।
44= दाँत गंदे रखना और रोज स्नान न करना ।
45= बिना स्नान किये और संध्या के समय भोजन करना ।
46= पडोसियों का अपमान करना, गाली देना ।
47= मध्यरात्रि में भोजन करना ।
48= गंदे बिस्तर में सोना ।
49= वासना और क्रोध से भरे रहना एवम्…
50= दूसरे को अपने से हीन समझना आदि ।
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शास्त्रों में है कि जो दूसरो का भला करता है।
ईश्वर उसका भला करता है।

🌷 यज्ञ का शाब्दिक अर्थ है 🌷

देव पूजा, संगतिकरण और दान। देव पूजा अर्थात् अग्निहोत्र के माध्यम से प्रज्वलित अग्नि में घी और सामग्री से आहुति प्रदान करना। इस वैज्ञानिक प्रक्रिया के माध्यम से वातावरण की शुद्धि होती है, जिसके लिए वेदों में बार-बार यज्ञ करने पर बल दिया गया है। इस आधुनिक सभ्य मानव के पास इतना समय नहीं कि वह यज्ञ कर सके। इसीलिए उसने सस्ता और शार्टकट रास्ता ढूंढ लिया है कि अगरबत्तियां जलाकर भगवान को प्रसन्न कर लिया जाए और वातावरण की भी शुद्धि हो जाए।क्या यह विधि उचित है ?
” अगरबत्ती के धुएं से कैंसर का खतरा ” चीन के एक शोध में दावा किया गया है कि अगरबत्ती से निकलने वाला धुआँ सिगरेट से भी खतरनाक साबित हो सकता है। अध्ययन के अनुसार सुगन्धित अगरबत्ती के धुएं में म्यूटाजेनिक, जीनोटाक्सिक, साइटोटाक्सिक जैसे विषैले तत्व होते है, जिनसे कैंसर होने का खतरा रहता है। अगरबत्ती के हानिकारक धुएं से शरीर में मौजूद जीन का रूप परिवर्तित हो जाता है। जो कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां होने की पहली स्टेज है और जेनेटिक म्यूटेशन से डीएनए में भी परिवर्तन हो सकता है।
आज हर मन्दिर में, दुकान में, घर में पूजा पाठ में, धार्मिक अनुष्ठान में किसी चीज के उदघाटन के अवसर पर बिना किसी झिझक के अगरबत्तीयां सुलगाई जाती है ।इसका परित्याग कर के इसके स्थान पर गौधृत का दीपक जला ले तो ज्यादा अच्छा रहेगा। क्योंकि १० ग्राम गौधृत को दीपक में जलाने से अथवा यज्ञ में आहुति डालने से १ टन प्राण वायु उत्पन्न होती है तथा उससे वायु मण्डल में एटोमिक रेडिएशन का प्रभाव कम हो जाता है। ” गाय के घी में वैक्सीन एसिड, ब्यूटिक एसिड वीटा कैरोटीन जैसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर में पैदा होने वाले कैंसरीय तत्त्वों से लड़ने की क्षमता रखते है।
यज्ञ ( हवन) एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है और ये अगरबत्तीयां जलाना अवैज्ञानिक हानिकारक तरीका है। महर्षि दयानन्द सरस्वती जी ने यज्ञ करने पर बल दिया है न कि अगरबत्ती सुलगाने पर।वे सत्यार्थ प्रकाश के तृतीय समुल्लास में लिखते हैं – प्रत्येक मनुष्य को सोलह- सोलह आहुति और छ: – छ: ग्राम माशे धृतादि एक-एक आहुति का परिमाण न्यून से न्यून चाहिए और जो इससे अधिक करें तो बहुत अच्छा है।घी में ही वह सामर्थ्य है जो दुर्गन्धित वायु को बाहर निकाल सकती हैं।कैंसरकारक सस्ते नुस्खे न अपना कर यज्ञ की ओर लौटने से ही कल्याण होगा। यह ऋषियों का दिया हुआ बहुत बड़ा विज्ञान है।